स्वप्नांची दुनिया
Saturday, October 20, 2007
सुबह
सूरज की पहली किरण जब धरती पे उतर आयी,
ओस की चादर ओढ़ के धरती मुस्कुराई,
नया दिन नयी सुबह नयी चहलपेहेल ,
चलो उठो तुम भी खेलो आज के दिन का खेल
--स्नेहा
1 comment:
आशा जोगळेकर
said...
बहुत अच्छे ।
October 21, 2007 at 2:17 AM
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1 comment:
बहुत अच्छे ।
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