Wednesday, October 24, 2007

shero shayari

दोस्ती के किस्से हम सुनाएँगे,
सफ़र साथ गुज़ारा आगे भी निभाएँगे,
ना जाने फिर कब मिले ना मिले,
एक दूसरे के दिल मे बस जाएँगे

--स्नेहा

वह काग़ज़ के नोट आज तकदीर बन गये,
ना जाने पीछे कितने रिश्ते छूट गये.....
हम तो जी रहे है इस तरह के,
ज़िंदगी को भूल कर सिर्फ़ ज़िंदा रह गये
--स्नेहा

हम रूठे तो मनाना ,
हम बिछड़े तो मिलने आना,
हम रोए तो हसाना,
हमको कभी भूल मत जाना
--स्नेहा

जैसे के कोई बैर है,
कश्ती और पानी मैं,
कभी तैर लेती है कश्ती,
कभी समा जाती है पानी में
--स्नेहा

No comments: