Saturday, December 6, 2008

दोस्ती

जीवन के सुर्ख पत्तों पे जब ये लब्ज लिखे जाते है,
उन पत्तों के नसीब खिल जाते है,
सिर्फ़ दो लब्ज है दोस्ती के ,
दो पल मे जीवन को संवार जाते है

जीवन का अटूट अंग दोस्ती,
हर पथ पर संग दोस्ती,
जब दोस्त हो आप जैसा ,
खुदा की दुवा का एक रंग दोस्ती

दोस्त तेरी हर बात हमें भाती है,
तेरी दोस्ती मे एक बहार नज़र आती है,
मिलने की आस तो ज़रूर है,
फासलों मे भी दोस्ती दिल के करीब नज़र आती है
--स्नेहा

य़े अदा है दोस्ती की
यहां दोस्ती का बसेरा है,
जिवन की अंधेरी राह मे
बस दोस्ती का ही सवेरा है

-स्नेहा

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