Tuesday, January 22, 2008

आंखें

लाख छुपाना चाहूं पर आंखें करें बयान,
जुबान कुछ और कहे और आंखें बेइमान.......

तू भी बडा चालाक कितनी शरारत करता है,
जुबान पे हाथ रखके आंखों से ही बात करता है.

मिले आंखें हमारी दो जिस्म एक जान हो जाते है,
तेरी आंखों में डुब के सौ जन्म जी जाते है.

होने दो बात आंखों से जुबान की क्या जरुरत,
मेरी आंखों ने दे दी तेरी आंखों को इजाज़त

जो अल्फाज़ नही कहते वोह कहती है आंखें,
तेरी मेरी आंखें गाती है सुनहरे कल की सौगतें....

---स्नेहा

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