Wednesday, January 23, 2008

दोस्ती की छांव

परेशानी की धूप मे दोस्ती की छांव मिले,
अनजानी सी दुनिया मे अपनासा गांव मिले,
अगर भटक जायें राहमें कभी,
तो मझधार पार कराये ऐसी नाव मिले.

जब छाये घना कोहरा जिवनमें,
राह दिखातें हाथ मिलें,
जो चिर निकल आये अंधेरा,
ऐसे दिपक का साथ मिले

जो जानें अनकही बातोंको,
ऐसा मनमीत मिले,
ना हो कभी बैर का साया,
जिवनमें हमेशा प्रीत मिले...

--स्नेहा

1 comment:

Avinash Tiwari said...

ज़िंदगी में जीना ज़रूरी नही,
जीने का अंदाज़ ज़रूरी है,
ज़िंदगी में चाहे लाख गम हो,
लेकिन चेहरे पे मुस्कान ज़रूरी है...