Wednesday, July 25, 2007

शेरो शायरी

जीने का बहाना ढुंढने जिंदगी गुजार रहे थे,
जब तुम चले गये, ये जाना के बहाना चला गया,
ाब जी रहे है के आपका दिदार हो जाये,
के तुम्हारा इंतजार ही जिनेका बहाना बन गया

--स्नेहा

जंजिरोंसे जखडे है मेरे हाथ ,
कैसे रोकु तुम्हे ए दिल,
चाहु भी तो पुकार ना पाऊं,
होंठ गये है मेरे सील

--स्नेहा

हजार नहिं एक लम्हा तो खुशिका,
हमारे साथ गुजार होगा,
जो याद करोगे तुम वो लम्हा,
तो जीवन सफल हमारा होगा

--स्नेहा

मौत भी ना मांगे हम रबसे,
यहि चाहत है अभी,
एक नजर तो देख पायेंगे आपको,
मौत के बाद वोह भी नही

--स्नेहा

जो सिनेमे धडकता है मेरे,
वोह दिल तो कब का तुम्हारा है,
हम तो हिफजत कर रहे है,
बस इंतजार तुम्हारा है

--स्नेहा

ना जाने क्युं एक दर्दसा होता है दिलमे,
जैसे की कोइ आग का दर्या है,
हम फिर रो लेते है आंसु बहाके,
के शायद ये आग बुझ जाये

--स्नेहा

यही तो मज़ा है ,ज़िंदगी खेल खेलती है
ढूँढा जहाँ में , आख़िर पैरों तलेही मिलती है.

..स्नेहा

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